NEWS POTLI भारत के गांव और किसान की आवाज - AN OVERVIEW

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ईरान की भारत से नाराज़गी के पीछे की वजह और पाकिस्तान कनेक्शन

उनका कहना है कि "सुप्रीम कोर्ट के पास इस बात पर फैसला सुनाने का अधिकार है कि नए कृषि क़ानून संवैधानिक है या नहीं. ये अधिकार सुप्रीम कोर्ट को भारत के संविधान से ही मिले हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में शरद पवार जैसे कुछ अन्य कांग्रेसी नेताओं का भी ज़िक्र किया.

केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा क‍ि भारत के किसान, गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में राष्ट्र ध्वज फहराने देश की राजधानी में आएं हैं, यह हमारे लोकतंत्र की ताकत है. यह अवसर देश को मजबूती देगा. संभवत: पहली बार क‍िसी सरकार ने क‍िसानों को गणतंत्र द‍िवस के ल‍िए अपने खर्चे पर द‍िल्ली बुलाया है. यह केंद्र सरकार का क‍िसानों के प्रत‍ि लगाव प्रदर्श‍ित करता है. मुंडा बृहस्पत‍िवार को पूसा, दिल्ली में कृषि मंत्रालय की ओर से आयोजित किसान सम्मेलन की शुरुआत कर रहे थे. इसमें केंद्र सरकार द्वारा देशभर से गणतंत्र दिवस के लिए विशेष रूप से आमंत्रित करीब आठ सौ क‍िसान अपने जीवन साथी या सहयोग‍ियों के साथ मौजूद रहे. सैकड़ों किसान व कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के सदस्य इस मौके पर मौजूद रहे.

माधवन कहते हैं, "फिलहाल जब क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से रोक है, ऐसे में केंद्र सरकार ने उसके लिए नियम नहीं बनाए हैं. और न ही वो ऐसा तुरंत करने के लिए बाध्य है. दरअसल, क़ानून पास होने के बाद उसके प्रावधान बनाने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम लोग कुछ शब्दों से बहुत परिचित हैं. श्रमजीवी,बुद्धिजीवी. लेकिन बीते कुछ समय से एक नई जमात सामने आई है. और वो हैं आंदोलनजीवी.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोई तमिल बोलता है... कोई तेलुगु, कोई मलयालम, तो कोई कन्नड़ा... कोई पंजाबी, कोई मराठी तो, कोई गुजराती...। भाषा अनेक हैं, लेकिन भाव एक है.

कांग्रेस ने अपने अकाउंट बंद किए जाने को लोकतंत्र की तालाबंदी भी कहा है.

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कोर्ट ने मामले में चार सदस्य कमेटी का गठन किया गया, जिसे दो महीने में कोर्ट को रिपोर्ट देनी थी.

लेकिन बैलेंस रहने तक पैसे निकाल सकते हैं या ट्रांसफ़र कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि नए मोर्चे तैयार किए जा रहे हैं जहां सैनिकों को स्थानांतरित किया जा सकता है.

पीएम मोदी ने कहा, कृषि सुधारों की बात बीते दो दशकों से हो रही है. लेकिन सब अपने हिसाब से इसे सोच रहे get more info थे.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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